।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
मार्गशीर्ष शुक्ल द्वितीया, वि.सं.२०७१, सोमवार

मानसमें नाम-वन्दना



 (गत ब्लॉगसे आगेका)

दोनों पक्षोंमें चन्द्रमाका प्रकाश समान ही रहता है, पर एक पक्षमें घटता है और दूसरेमें बढ़ता है‒ऐसा लोग मानते हैं । रोजाना रात और दिनमें चन्द्रमाकी घड़ियाँ मिलाकर देखी जायँ तो बराबर होती हैं । इसी प्रकार आजकी आधी रातसे दूसरे दिन आधी राततक आठ पहरकी घड़ियोंका १५ दिनोंका मिलान करनेसे शुक्लपक्ष और कृष्णपक्षके पंद्रह दिनोंमें प्रकाशको और अन्धेरेकी घड़ियाँ बराबर आयेंगी । फिर यह शुक्ल और कृष्णपक्ष क्या है ? चन्द्रमा शुक्लपक्षमें पोषण करता है, अमृत बरसाता है, जिससे वृक्षोंके फल बढ़ते हैं, बहनों-माताओंके गर्भ बढ़ते हैं और उन सबको पोषण मिलता है । चन्द्रमासे सम्पूर्ण बूटियोंमें विलक्षण अमृत आता है और सूर्यसे वे पकती हैं । जैसे सूर्य और चन्द्रमा सम्पूर्ण जगत्‌का हित करते हैं, वैसे ही भगवान्‌के नामके जो और दो अक्षर हैं, वे सब तरहसे पोषण करनेवाले हैं ।

जग हित हेतु बिमल बिधु पूषन’‒यह रामनाम विमल है । चन्द्रमा और सूर्यपर राहु और केतुके आनेसे ग्रहण होता है, परंतु रामनामपर ग्रहण नहीं आता । चन्द्रमा घटता-बढ़ता रहता है, पर राम तो बढ़ता ही रहता है । राम कभी फूटत नाहीं यह फूटता नहीं, रात-दिन बढ़ता ही रहता है । यह सदा ही शुद्ध है, इसलिये जगत्‌के हितके लिये निर्मल चन्द्रमा और सूर्यके समान है ।

भगवान्‌के नामके दो अक्षर राऔर हैं, जिनकी महिमा गोस्वामीजी महाराज कह रहे हैं । यह महिमा ठीक समझमें तब आती है, जब मनुष्य नाम-जप करता है । भगवान्‌ने कृपा कर दी, यह मनुष्य-शरीर दे दिया, सत्संग सुननेको मिल गया । अब नाम-जपमें लग जाओ । इस जमानेमें जो थोड़ा भी जप करते हैं, उनकी बड़ी भारी महिमा है । कलियुगमें सब चीजोंके दाम बढ़ गये तो क्या भगवन्नामके दाम नहीं बड़े हैं ? अभी भजनकी महिमा अन्य युगोंकी अपेक्षा बहुत ज्यादा बढ़ी है ।

चहुँजुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊ ।
कलि बिसेषि नहिं आन उपाऊ ॥
                                                     (मानस, बालकाण्ड, दोहा २२ । ८)

                                      राम ! राम !! राम !!!

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)

‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे