(३० नवम्बरके ब्लॉगसे आगेका)
ये नाम महाराज भक्तोंके मनरूपी सुन्दर कमलमें विहार करनेवाले
भौंरेके समान हैं और जीभरूपी यशोदाजीके लिये श्रीकृष्ण और बलरामजीके समान आनन्द देनेवाले
हैं । भक्तोंका मन बहुत सुन्दर कमलके समान है,
उसके ऊपर राम, राम, राम......नामरूपी भँवरे मँडरा रहे हैं । ये मनके ऊपर बैठे हैं
। मन हरदम भगवान्के नाममें लगा हुआ है । इस कारण भक्तोंको दूसरी चीज सुहाती नहीं ।
भगवन्नाममें यदि कोई बाधा लगती है तो वह उन्हें सुहाती नहीं है ।
भजनानंदी संत
जोधपुरमें श्रीबुधारामजी महाराज हुए हैं । ‘बागर’ में उनका रामद्वारा है । वे माताजीसहित वहाँ रहते थे । इनको
खेड़ापा महाराजका उपदेश हो गया तो रात-दिन ‘राम’ नाम जपमें लग गये । जब रसोई बनकर तैयार हो जाती तो माँ कह देती‒‘बेटा
! रोटी बन गयी है ।’ तब वे आकर भोजन कर लेते,
फिर वैसे ही राम, राम.....करने लग जाते । एक बार वे अपनी माँसे बोले‒‘माँ रोटी
मत बनाया कर । रोटी चबानेमें जितना समय लगता है,
उतना समय नाम-जपके बिना चला जाता है,
इसलिये तू खिचड़ी या खीचडा बना दिया कर ।’
अब खिचड़ी परोसे तो वह बहुत देरतक गरम रहती थी । तो कहा‒‘माँ,
जब ठण्डी हो जाय, तब मेरेको कहा कर । अब इस अन्नकी उपासना कौन करे,
देर लगती है ।’ फिर एक दिन कहा‒‘माँ राबड़ी बना दिया कर ।’
माँ आटा घोलकर राबड़ी बना देती । वह ठण्डी होनेपर गट-गट पी लेते
। फिर राम, राममें लगे रहते ।
भजन करनेमें लगे हुएको भोजन करनेमें समय लगाना
ठीक नहीं लगता है । अब स्वाद तो ले ही कौन ? क्या बढ़िया देखे और क्या घटिया ? प्राणोंको
रखना है, इसलिये अन्नकी खुराक दे दो‒
कबीर छुधा है कूकरी
तन सों दई लगाय ।
याको टुकड़ा डालकर पीछे हरि गुण गाय ॥
गोस्वामीजी कहते हैं‒‘जीह
जसोमति हरि हलधर से’‒माता यशोदाकी
गोदमें कन्हैया और बलदाऊ‒दोनों खेलते हैं । भगवान्के भक्तोंकी जो जीभ है,
वह यशोदाजीके समान है । उनकी गोदमें ‘रा’ और ‘म’ रूपी कन्हैया और दाऊ भैया खेल रहे हैं । बालकको माँकी गोदमें
खेलनेमें आनन्द आता है । मनमें ‘भँवरे’ रूपसे ‘राम’ नाम है, जीभपर राम-नाम ‘हरि हलधर से’
हैं । इसलिये भक्तलोग मनसे भी ‘राम’ नाम और जीभसे भी ‘राम’ नाम जपते रहते हैं । मनसे,
वाणीसे, इन दोनों अक्षरोंमें तल्लीन होकर रात-दिन भजन करते हैं । किसी
तरहकी कोई इच्छा, तृष्णा और वासना उनमें रहती ही नहीं । इस प्रकार इन ‘र’ और ‘म’ अक्षरोंकी महिमा कहाँतक कही जाय ! इनको लेनेसे ही इनका रस अनुभवमें
आता है । इसलिये हर समय भगवन्नाम-जप करते ही रहना चाहिये ।
राम ! राम !! राम !!!
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे |