।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि
चैत्र शुक्ल त्रयोदशी, वि.सं.२०७२, गुरुवार
श्रीमहावीर-जयन्ती
मातृशक्तिका घोर अपमान




(गत ब्लॉगसे आगेका)

छोटे-छोटे जीव-जन्तुओंको आप मार देते हो । वे बेचारे कुछ भी कर नहीं सकते; परन्तु क्या भगवान्‌के यहाँ न्याय नहीं है ? निर्बलको नष्ट कर देना कितना बड़ा पाप है ! महाभारतकी कथा आप सुनो-पढ़ो । युद्धमें दूसरेको चेताते हैं कि सावधान हो जाओ, मैं बाण चलाता हूँ ! शत्रुपर बाण भी चलाते हैं तो पहले उसको सावधान करते हैं, फिर बाण चलाते हैं । जो बेचारे कुछ कर नहीं सकते, अपना बचाव भी नहीं कर सकते और आपका अनिष्ट भी नहीं कर सकते, ऐसे क्षुद्र जन्तुओंको नष्ट कर देना बड़ा भारी अन्याय, अत्याचार है । सज्जनो ! इन बातोंपर थोड़ा ध्यान दो, जरा सोचो । आप अपना बुरा नहीं चाहते हो तो दूसरोंका बुरा करनेका आपको क्या अधिकार है ? अत: किसीके भी सुखमें बाधा मत दो, किसीकी भी उन्नतिमें बाधा मत दो, किसीके भी जन्ममें बाधा मत दो, किसीका भी भला होनेमें बाधा मत दो । जो बात आप अपने लिये नहीं चाहते, उसको औरोंके लिये भी मत चाहो । यह सबसे पहला धर्म है ।

जो जीव असमर्थ हैं, कुछ कर नहीं सकते, उनके साथ अत्याचार करना भगवान्‌को सह्य नहीं है । जो दूसरोंका नाश करनेके लिये समर्थ होते हैं, उनको गीताने असुर बताया है‒‘प्रभवन्त्युकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः’ (१६ । ९) । जान-जानकर मूक, असमर्थ जीवोंकी हत्या करते हो और चाहते हो कि हमारा भला हो जाय; कैसे हो जायगा ? कल्याण कैसे हो जायगा ? मैं तो हदयसे चाहता हूँ कि आपकी दुर्गति न हो, आपका कल्याण हो, आपका उद्धार हो ! पर मैं करूँ क्या ?

हिन्दू-संस्कृति जितनी आध्यात्मिक उन्नति बताती है, उतनी दूसरी कौन-सी संस्कृति बताती है ? ईसाई, मुसलमान आदि सब अपनी-अपनी टोली बढ़ानेके लिये काम करते हैं कि हमारे सम्प्रदायको माननेवाले लोगोंकी संख्या ज्यादा हो जाय, हमारा नाम ज्यादा हो जाय । परन्तु जीवमात्रका कल्याण हो जाय, उद्धार हो जाय, वह दुःखोंसे, नरकोंसे, जन्म-मरणसे छूट जाय, उसको सदाके लिये परम आनन्दकी प्राप्ति हो जाय‒ऐसी लगन किसमें है ? विश्वशान्तिके लिये, विश्वके कल्याणके लिये यज्ञ आदि कौन करता है ? मैंने दिल्लीमें छपा एक पन्ना देखा । उसमें लिखा था कि जो मूर्ति-पूजा करे, उसको मार दो ! जो मूर्ति-पूजा करते हैं, वे कौन-सा अन्याय करते हैं ? कौन-सा पाप करते हैं ? किसका नुकसान करते हैं ? वे मूर्ति-पूजा करें तो तुम्हारे क्या बाधा लगी ? अब आप बतायें कि ऐसा कौन-सा सम्प्रदाय है, जो जीवके कल्याणकी ही बात कहता हो ?

    (अपूर्ण)
‒ ‘मातृशक्तिका घोर अपमान’ पुस्तकसे