।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
भाद्रपद कृष्ण पंचमी, वि.सं.२०७२, गुरुवार
श्रीचन्द्रषष्ठी
विचार करें


(गत ब्लॉगसे आगेका)
सब लोग अपने मतलबसे प्रेम करते हैं । बिना मतलब प्रेम करनेवाले भगवान् और उनके भक्त ही हैं । अगर वे हमें अच्छे लगने लग जायँ तो हम सन्त बन जायँगे, ऊँचे बन जायँगे । परन्तु झूठ, कपट, बेईमानी, ठगी, धोखेबाजी अच्छी लगेगी तो नीचे बन जायँगे । अपनी तरफ देखें कि क्या दशा है ? सत्संग कितने वर्षोंसे कर रहे हैं और भगवान्के नजदीक कितने गये हैं ? विचार करें । रुपये कितने प्यारे लगते हैं, पर चट हाथसे निकल जाते हैं । फिर भी हाय रुपया, हाय रुपया करते हो ! रुपया आपको याद नहीं करता । पर भगवान् आपको याद करते हैं, आपकी रक्षा करते हैं, सहायता करते हैं । भगवान्‌के समान दूसरा कौन है ?

उमा राम सम हित जग माहीं ।
गुरु पितु मातु  बंधु प्रभु नाहीं ॥
                               (मानस, किष्किंधा १२ । १)

भगवान्ने हमारा कितना उपकार किया है, कितना उपकार करते हैं और कितना उपकार करेंगे ! भगवान्के समान हित करनेवाला कोई है ही नहीं, हुआ ही नहीं, होगा ही नहीं, हो सकता ही नहीं । हम भगवान्के लिये क्या करते हैं ? भगवान्को हमारेसे क्या स्वार्थ है ? फिर भी वे हमसे प्रेम रखते हैं, हमारा हित करते हैं । अगर हम सच्चे हृदयसे भगवान्में लग जायँ तो निहाल हो जायँगे ।

नाम नाम बिनु ना रहे,    सुनो सयाने लोय ।
मीरा सुत जायो नहीं, शिष्य न मुंड्यो कोय ॥

हम सोचते हैं कि हमारा बेटा हो जाय तो हम निहाल हो जायँगे, हमारा चेला बन जाय तो हम निहाल हो जायँगे । परन्तु मीराबाईका न कोई बेटा हुआ, न उन्होंने कोई चेला बनाया, पर आज कई पीढ़ी बीतनेपर भी लोग उनका नाम लेते हैं, उनको याद करते हैं । आपको तीन-चार पीढ़ीके नाम भी याद नहीं होंगे ! मीराबाईमें एक ही विशेषता थी‘मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई ।’ एक भगवान्‌को याद करनेसे सब काम ठीक हो जाता है । लोक-परलोक दोनों सुधर जाते हैं । परन्तु भोगोंको याद करनेसे शरीर भी खराब होता है, मन भी खराब होता है, आदत भी खराब होती है, स्वास्थ्य भी खराब होता है । इसलिये हरदम भगवान्को याद रखो । यही सबका सार है ।

नारायण !     नारायण !!     नारायण !!!

‒‘सत्यकी खोज’ पुस्तकसे